Wednesday, 8 November 2017

मुगल बादशाह औरंगज़ेब का इतिहास व जीवन परिचय हिंदी में। Mugal Emperor Aurangzeb history and biography in hindi

मुगल बादशाह औरंगज़ेब

मुगल बादशाह औरंगज़ेब  ( सन 1658 -1707 )            


















पूरा नाम-           अबुल मुज़फ्फर मोहीउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब आलमगीर 
जन्म-                3 नवंबर 1618 
जन्म स्थान-        दाहोद मुगल साम्राज्य (गुजरात) 
शासन काल-      31 जुलाई 1658 से 3 मार्च 1707 
माता का नाम-    मुमताज महल 
पिता का नाम-    शाहजहां
भाई -               दारा शिकोह , सुजा 





औरंगज़ेब आलमगीर कौन था 

औरंगजेब मुगल साम्राज्य का छठा शासक था वह और अकबर ही ऐसे बादशाह थे जिनके समय में मुगल साम्राज्य अपने स्वर्ण युग में था तथा इन का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा अपने मुगल साम्राज्य का विस्तार करने पर था

वह एक कुशल बादशाह था आप इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इन्होंने लगभग आधी शताब्दी तक राज किया तथा इसने दक्षिणी भारत में मुगल साम्राज्य का विस्तार करने का भरसक प्रयास किया इस के इस भरसक प्रयास से दक्षिणी भारत पर विजय प्राप्त की 
उस समय मुगल साम्राज्य 1200000 वर्ग मील में फैला हुआ था मुगल सम्राट औरंगजेब अपने समय में कुल 15 करोड़ लोगों पर शासन करता था 
औरंगजेब ने अपना पूरा शासनकाल शरीयत या इस्लामिक कानून पर चलाया वह एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था जो यह चाहता था कि उसका शासन इस्लामिक कानून की तरह चले यहां तक की सजा देने का प्रावधान भी शरीयत कानून के हिसाब से हो औरंगजेब एक महान योद्धा था उन्होंने अपने नाम को आलमगीर शब्द से जोड़ा जिसका मतलब होता है विश्व विजेता और वह एकमात्र ऐसे मुगल बादशाह थे जिसके गैर मुसलमान लोगों पर भी शरीयत कानून लागू किया तथा 
उन्होंने काफी हिंदू धर्म के मंदिरों को नष्ट करवाया उसी समय से मुगल सम्राट औरंगजेब की छवि गैर मुस्लिम समाज में खराब होने लगी थी जहां मुगल सम्राट अकबर हिंदू मुस्लिम एकता का पैगाम देते थे वही औरंगजेब इन सबसे अलग थे वह एक कट्टर मुसलमान थे


प्रारम्भिक जीवन 


औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर 1618 को मुगल सम्राज्य दाहोद जो कि वर्तमान समय में गुजरात में है वहां हुआ औरंगजेब शाहजहां और मुमताज महल की छठी संतान थी वह भाइयों में तीसरा था 

औरंगजेब ने अरबी फारसी भाषा को आगरा में रहकर सीखा जब शाहजहां को  1628 मैं मुगल सम्राट घोषित किया गया उसके बाद मुगल प्रथाओं के अनुसार यानी कि बादशाह के बेटे या शहजादे उसके साम्राज्य को बराबर बराबर संभालेंगे इसी लिए शाहजहां ने औरंगजेब को 1634 में दक्कन का सूबेदार बना दिया


औरंगजेब के शासन की शुरुआत

औरंगजेब के शासन की शुरुआत 1634 को मान सकते हैं जब उसके पिता शाहजहां ने उसे दक्कन का सूबेदार बनाया था वैसे तो औरंगजेब बचपन से ही युद्ध कला में निपुण था और एक अनुशासित बादशाह था 

                        उसके भाई दारा शिकोह और सुजा जिसमें से दारा शिकोह शाहजहां का सबसे प्रिय पुत्र था जब औरंगजेब दक्कन का सूबेदार था तो इधर शाहजहां ने दारा शिकोह को अपने मुगल दरबार का कामकाज सौंप दिया जब औरंगजेब आगरा आया तो उसने यह देखा तो बहुत क्रोधित हुआ क्रोध के कारण ही शाहजहां ने उसे दक्कन के सूबेदार पद से बर्खास्त कर दिया तथा कुछ समय बाद शाहजहां ने उसे दक्कन को छोड़ गुजरात का सूबेदार बना दिया गुजरात का सूबेदार बनने के बाद उसने उस पर रहते हुए बहुत अच्छा काम किया जिसकी वजह से शाहजहां ने उसे उत्तरी अफगानिस्तान उज्बेकिस्तान (यह सभी स्थान आज के इन नामो से जाने जाते हैं) का सूबेदार बना दिया 
इसके बाद औरंगजेब के पद में लगातार उन्नति होती रही उसे बाद में मुल्तान व सिंध का गवर्नर बना दिया इस समय तक औरंगजेब शासन व्यवस्था को बनाए रखने मे अपने दोनों भाइयों से कुशल हो गया था 
                सन 1652 को शाहजहां की तबीयत खराब हो गई तब सभी को ऐसा लग रहा था कि मुगल सम्राट शाहजहां की मृत्यु हो जाएगी ऐसा देखकर तीनों भाइयों के बादशाह बनने की होड़ लग गई जिससे गद्दी पर बैठने के लिए संघर्ष होना शुरू हो गया 

औरंगजेब ने अपने भाई दाराशिकोह को फांसी दे दी उसने अपने भाई सुजा जो कि बंगाल का गवर्नर था उसको हरा दिया।  

और शाहजहां को आगरा के लाल किले में कैद करवा दिया था कहा जाता है औरंगजेब द्वारा शाहजहां को कैद करवाने का मुख्य कारण शाहजहां के शासनकाल के अंतिम समय में ताजमहल निर्माण कार्य में अपार धन व्यय होने से शासन में वित्तीय व्यवस्था बिगड़ गई थी जिसके कारण औरंगजेब नाखुश था इसलिए औरंगजेब ने शाहजहां को कैद कर लिया था



औरंगजेब का शासनकाल

औरंगजेब ने शाहजहां को कैद कर 1659 में अपना राज्यभिषेक करवाया औरंगजेब एक कट्टर मुसलमान बादशाह था मुगल साम्राज्य की अगर बात करें तो अकबर के बाद सभी बादशाह गैर मुस्लिमों के प्रति उदार रहे थे पर औरंगजेब इन सब से विपरीत था उसने अपना शासक इस्लामिक कानून यहां शरियत के अनुसार चलाया था  

उसके गैर मुस्लिमों पर  तीर्थ कर जजिया जो अकबर ने हटवाया था वह उसने फिर से प्रारंभ किया तथा इसने हिंदू देवी देवताओं के काफी मंदिरों को नष्ट करवा दिया उसने सती प्रथा का अंत किया तथा कश्मीरी ब्राह्मणों को जबरन इस्लाम कबूल करने को कहा जो कि इस्लाम के सख्त खिलाफ है इस्लाम में यह कभी नहीं कहा जाता की कोई गैर मुस्लिम इस्लाम को जबरन कबूल करें इसके बाद कश्मीरी पंडित सिक्खों के नौवे गुरु तेग बहादुर के पास गए उन्होंने भी इसका विरोध किया जिसके कारण            औरंगजेब ने तेग बहादुर का सर कलम करवा दिया

यदि अगर औरंगजेब के शासनकाल की बात की जाए तो उस समय काफी उतार-चढ़ाव वाला शासक रहा इसका मुख्य कारण यह था कि उत्तरी भाग में उस समय सिखों का शासक मजबूत हो रहा था और दक्षिण भाग में मराठाओं का इन दोनों ने ही औरंगजेब के नाक में दम कर रखा था औरंगजेब और अकबर मुगल साम्राज्य में केवल यही दो बादशाह थे जिन्होंने अपना शासन केवल और केवल विस्तार करने पर जोर दिया


एक बादशाह से दूर अगर इनके व्यक्तिगत जीवन कि अगर हम बात करें तो मानो ऐसा लगता है कि वह दो व्यक्ति हैं एक जो बादशाह है और दूसरा वह जो साधारण जीवन व्यतीत करता है 

जी हां वह बहुत ही सीधा सादा जीवन व्यतीत करते थे वह हमेशा एक बादशाह की तरह फिजूलखर्ची नहीं करते थे क्योंकि वह अपने शासन को शरीयत के हिसाब से चलाते थे और खुद भी उस शरीयत का पालन करते थे उन्होंने परिवहन तथा चुंगी कर को समाप्त कर दिया था जो कि शरीयत के खिलाफ था वह ज्यादा फिजूलखर्ची नहीं करते थे तथा वह वक्त निकालकर कुरान की नकल की प्रतियों और टोपियों को सीकर तथा उन्हें बेचकर पैसे कमा लेते थे

                                 औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च सन 1707 को हो गई इसकी बड़ी वजह यह थी कि दक्षिण में मराठाओं का साम्राज्य बढ़ गया तथा और उनकी सेना को मराठाओं पर सफलता नहीं मिल रही थी आपको जानकर हैरानी होगी कि औरंगजेब ने अपनी सेना को लेकर मराठाओं का वर्चस्व कम करने के लिए वह अपनी राजधानी से दूर रहे थे तथा अपने शासनकाल के अंतिम 25 साल उन्होंने इसी अभियान में लगा दिए थे



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