महान फुटबॉलर पेले
महान फुटबॉलर पेले |
पिता- जो रैमोस नैसिमेंटो (डांडिन्हो )
माता- डोना
पत्नि- रोजमेरी दोस रेइस
यह बात है 1950 विश्व कप की जो ब्राजील में आयोजित किया गया था उस समय ब्राजील और उरुग्वे की टीम फाइनल में थी यह ब्राजील का होम ग्राउंड था सबको लग रहा था कि ब्राजील 1950 का वर्ल्ड कप जीतेगा
पेले के पिता डोडिन्हो जो कि खुद एक फुटबॉलर थे वह रेडियो पर सीधा प्रसारण सुन रहे थे उस समय उरुग्वे की टीम ब्राजील की तुलना में मजबूत स्थिति में थी वह काफी संघर्षपूर्ण मुकाबला था अंत में उरुग्वे ने ब्राजील को 1-2 से हरा दिया इसे सुनकर पेले के पिता फूट-फूट कर रोने लगे पेले बाहर से आते हैं और वह पिता को देखकर समझ जाते हैं उस समय पेले अपने पिता के आंसू को पहुंचकर कहते हैं की पिताजी आप परेशान ना हो मैं एक बार जरूर आपके लिए यह कप लाआऊंगा और उन्होंने ऐसा किया भी सन 1958 के विश्व कप में उन्होंने अहम भूमिका निभाई तथा ब्राजील को विजेता बनाया
कौन है पेले
पेले एक ऐसा नाम यदि हम फुटबॉल की दुनिया की बात करें और यदि इनका नाम ना लें तो मानो ऐसा लगता है कि हम फुटबॉल खेल के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं जी हां
तीन बार के विश्व चैंपियन ब्राजील टीम के सदस्य रहे पेले आज भी फुटबॉल के इतिहास में सर्वकालीन महान फुटबॉलर है उन्होंने कुल 1363 मैचों में 1281 गोल किए हैं वह अपने मूल देश ब्राजील के राष्ट्रीय हीरो हैं
जब पहले अपने कैरियर के चरम पर थे तो उसी समय यूरोपियन क्लब मेनचेस्टर यूनाइटेड, जुवेंटस, रियल मेड्रिड यह सभी उस समय के अमीर क्लब थे जो कि पेले को खरीदना चाहते थे पर ब्राज़ीली सरकार को पता चला तो उन्हें रोकने के लिए ब्राजील की सरकार ने पेले को राष्ट्रीय संपदा घोषित कर दिया आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि ब्राजील के लोग इन्हें कितना प्यार और स्नेह देते हैं
प्रारंभिक जीवन
पेले का जन्म ब्राजील के ट्रेस कोराकोस में हुआ था इनके पिता का नाम रैमोस जिन्हें प्यार से डोडिन्हो कहा जाता था जो कि खुद एक फुटबॉल खिलाड़ी थे तथा उनकी माता का नाम डोना था पेले का बचपन का नाम महान अमेरिकी थॉमस एडिसन के नाम पर एडिसन रखा गया था माना जाता है कि पेले को पेले नाम एक स्थानीय मैच खेलने के बाद दिया गया था कहा जाता है
कि उनके पसंदीदा खिलाड़ी बिले के नाम का गलत उच्चारण करने पर मिला पेले को आज तक इसका मतलब नहीं पता पेले जितना मना इस नाम को लेकर करते थे उनके मित्र उतना ही इस नाम को लेते थे
आपको जानकर हैरानी होगी कि पेले के पास फुटबॉल खरीदने के पैसे नहीं थे वह अपने मौजे में अखबार के कागज को भरकर उसे अंगूर की लताओं से बांधकर फुटबॉल बनाकर खेलते थे
कैरियर
कैरियर की बात करें तो पेले का कैरियर 15 वर्ष की आयु में शुरू हो गया था जब उन्होंने सांटोस फुटबॉल क्लब में दाखिला पाया सांटोस उस समय एक उच्च कोटि का क्लब था उसमे दाखिला लेने के बाद वह वहां अनेक पेशेवर खिलाड़ियों के साथ खेले
उन्होंने अपना पहला गोल 1956 में किया तथा मात्र 10 महीने के खेल के बाद ही पेले को राष्ट्रीय टीम में ले लिया गया उन्होंने अपना पहला लीग मैच 1958 में खेला तथा उन्होंने उस लीग मैच में रिकॉर्ड 58 गोल किए।
यदि इनके राष्ट्रीय टीम की बात करें तो इन्होंने अपना अपना पहला गोल 1957 को अर्जेंटीना के खिलाफ किया था तथा ऐसा करने वाले वह अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए
1958 विश्व कप यह कप मानो पेले के नाम से ही जाना जाता है इसमें एक के बाद एक कई रिकॉर्ड बनाए थे वह इस विश्व कप के सबसे कम उम्र के एकमात्र खिलाड़ी थे तथा उन्होंने अपने लीग मैच में वेल्स के खिलाफ गोल कर अपनी टीम को सेमीफाइनल में भेजने में सहायता की तथा सेमीफाइनल में फ्रांस को 51 से हराकर वह फाइनल में पहुंचे उन्होंने इसी मैच में अपने करियर की पहली हैट्रिक पूरी की थी तथा फाइनल में स्वीडन को 52 से हरा दिया था पेले मैच के बाद बेहोश हो गए थे तथा होश में आने के बाद वह बहुत रो रहे थे उन्हें लगा कि उन्होंने अपने पिता को किया वादा पूरा कर दिया है इसके बाद तो पेले ने लगातार अपने खेल को उच्च कोटी तक पहुंचा दिया था और उन्होंने ब्राजील को 3 विश्व कप जीतने में सहायता की थी
पेले का आखिरी मैच 1971 में खेला जोकि युगोस्लाविया के खिलाफ खेला गया था
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